हमारे शरीर में सात चक्र होते हैं, मूलाधार, स्वाधिष्ठान, मणिपुर, अनाहत, विशुद्ध, आज्ञा और सहस्त्रार। नवरात्रि में हर दिन एक विशेष चक्र को जाग्रत किया जाता है, जिससे हमें ऊर्जा प्राप्त होती है। हम अगर इस ऊर्जा का ठीक प्रबंधन कर लें तो असाधारण सफलता भी आसानी से प्राप्त कर सकते हैं। सामान्यत: हमारी सारी ऊर्जा मूलाधार चक्र (कामेंद्रियों के ऊपर) होती है। योगीजन नवरात्रि में ध्यान के माध्यम से मूलाधार में स्थित अपनी ऊर्जा को सहस्त्रार तक लाते हैं। सांसों के नियंत्रण और ध्यान से इस ऊर्जा को ऊपर खींचा जा सकता है। जैसे-जैसे हम ऊर्जा को एक-एक चक्र से ऊपर उठाते जाते हैं, हमारे व्यक्तित्व में चमत्कारी परिवर्तन दिखने लगते हैं।